आज कांग्रेस विधायक कल से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र की रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे। लेकिन खबरों के मुताबिक मीटिंग में ना तो सचिन पायलट और ना ही उनके समर्थक विधायकों को बुलाया गया है। दावे किए जा रहे हैं कि सियासी दंगल खत्म हो गया है। लेकिन क्या वाकई सब कुछ ठीक है? अगर सब कुछ ठीक होता तो सचिन पायलट को और अशोक गहलोत को एक साथ कल से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र की रणनीति पर चर्चा करनी होती, लेकिन ऐसा नहीं है। अशोक गहलोत के विधायक जो अब तक जैसलमेर में तनाव भरी जिंदगी जी रहे थे। लेकिन अब देखिए सब के चेहरे ऐसे खिले हुए हैं, सचिन पायलट की वापसी के साथ रौनक लेकर आई है। जयपुर लौटने से पहले इन्होंने जैसलमेर में तफरीह की, बाजार घूमे, शॉपिंग भी की, और मंदिर में पूजा अर्चना भी की।
सुकून के कुछ पल बिताने के बाद अशोक गहलोत गुट के सारे विधायक जयपुर के फेयरमाउंट होटल लौट आए हैं। इस बीच सचिन पायलट भी अपने समर्थकों के साथ मंगलवार शाम से ही जयपुर में मौजूद हैं। लेकिन दिलचस्प यह है कि दोनों गुटों के दिल अभी भी नहीं मिले हैं।
दरअसल खुद को राजनीति का जादूगर मानने वाले अशोक गहलोत अब हाईकमान को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही दावा कर रहे हैं, कि सब को सम्मान देंगे. जो हुआ वह इतिहास है। लेकिन उनके समर्थक विधायक अब भी सचिन पायलट पर निशाना साध रहे हैं। इस बीच खबर यह भी है कि अशोक गहलोत के विधायक ने राजस्थान के प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल के सामने सचिन पायलट के साथ सुलह पर सवाल खड़े करने का मन भी बनाया है।
इसकी एक झलक मंगलवार की शाम जैसलमेर के होटल में तब दिखी थी, जब विधायकों ने अशोक गहलोत के सामने ढेरों सवाल रख दिए थे। मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जहां तक सचिन पायलट के वापस प्रदेश अध्यक्ष या उप मुख्यमंत्री बनाने की बात है। यह सब आलाकमान को तय करना है, जो फैसला आलाकमान करेगा, वह हम सबको मान्य होगा।
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